रोमन दार्शनिक सिसरो ने कहा था कि ” वह व्यक्ति जिसके अंदर हिम्मत है उसके अंदर विश्वास भी कूट- कूट कर भरा रहता है” इससे एक छोटी सी कहानी याद आ गयी – एक बार एक व्यक्ति को किसी कार्यवश अपने गाँव से नगर जाने कि आवश्यकता पड़ी, गाँव से नगर जाने वाले मार्ग पर एक नदी पड़ती थी परन्तु दैववश उस दिन नदी पार करने के लिए बना पुल टूट गया । व्यक्ति अधीर हो इधर-उधर जाकर नदी पार करने का मार्ग खोजने लगा, तभी उसकी दृष्टी एक पेड़ के नीचे समाधिस्थ सिद्ध पुरुष पर पड़ी । उसने पास जाकर सिद्ध पुरुष को अपनी व्यथा सुनाई और सहायता करने कि प्रार्थना की । सिद्ध पुरुष ने कुछ देर मौन रहने के पश्चात व्यति से कुछ दूरी पर उगे पीपल के वृक्ष से एक पत्ता लाने को कहा, व्यक्ति पत्ता लेकर आया तो उन्होंने अपनी धूनी से एक कोयला उठाकर उस पत्ते पर कुछ लिखा और व्यक्ति तो देते हुए बोले यह जल स्तम्भन मंत्र है इसको कसकर कर मुट्ठी में पकड़ लो इससे तुम्हे जल विचरण की शक्ति मिलेगी पर खबरदार ! दुसरे तट पर पहुचने से पहले इसे मत देखना । वह सिद्ध पुरुष को प्रणाम कर नदी के किनारे पंहुचा, अपने इश्वर को याद करके उसने जैसे ही नदी में पांव डाले आश्चर्य !!वह जल की सतह पर खड़ा था आश्चर्य मिश्रित हर्ष के साथ वह जल में चलता हुआ दुसरे तट पर पंहुच गया । तट पर खड़े हो जब उसने अपनी मुट्ठी में रखे पत्ते को देखा तो उसमे केवल श्री राम लिखा था । वह व्यक्ति नदी पार कैसे कर पाया ?? यहाँ चमत्कार किसका था उस व्यक्ति का या सिद्ध पुरुष का ?? वह व्यक्ति नदी पार कर सका क्योंकि वह वीर था जो उफनती नदी से नहीं घबराया और उसे विश्वास था उस सिद्ध पुरुष पर , निसंदेह यहाँ चमत्कार उस व्यक्ति का था सिद्ध पुरुष ने तो केवल उसका विश्वास जगाया । ऐसे ही विश्वास के कारण मानव आज अपनी सीमओं से परे नए आयाम गड़ रहा है इसी विश्वास के कारण कई ऐसे योद्धा निकलकर आये जिन्होंने कैंसर जैसे असाध्य रोग को भी मात दे दी जबकी डाक्टर भी उम्मीद छोड़ चुके थे , पोलियो ग्रसित एक लड़का जो क्रिकेट कि दुनिया का चमकता सितारा बना (भगवत चंद्रशेखर), एक बधिर जो महान संगीतज्ञ बना (बीथोवन ) इतिहास और वर्तमान ऐसे कई उदाहरणॊ से भरे पड़े है । ऐसे चमत्कार छोटे या बड़े कभी न कभी हमारे जीवन में भी घटित हुए होंगे जैसे मेरे एक मित्र के साथ हुआ मेरे मित्र स्वामी नित्यानानद (हाँ वही वाले नित्यानंद ) के बड़े भक्त थे और वह कहते थे कि जब भी वह शंकाग्रस्त होते थे तो वह ध्यान लगाते थे और ध्यान में स्वयं स्वामी जी आकार उनकी शंका का समाधान करते थे, पर स्वामी जी के बारे में जानने के पश्चात मुझे लगता है कि जब मेरे मित्र ध्यानमग्न होते होंगे तब तो स्वामी जी न जाने किस ‘काम ‘ में व्यस्त होंगे तो उनकी समस्या का समाधान कौन करता था ?? वह खुद मेरे मित्र थे जिनका अंतर्मन उनके हर प्रश्नों का उत्तर उन्हें देता था । आजकल ऐसे बड़े – बड़े स्वामी , महात्मा उत्पन्न हो चुके है जो सब रोग, दुःख शोक के निदान का दावा करते है, और कई शिक्षित, अशिक्षित, धनी- निर्धन उनके चरणों में लोटते हुए दिखते है ।पर ये बाबा क्या लोगो के दुःख दूर करेंगे, जिनके कर्म किसी जघन्य अपराधी से भी पतीत है, यहाँ भी जो असली चमत्कार दिखाता है, वो स्वयं वह व्यक्ति होता है जो रोग दुःख शोक से लड़कर विजेता बनकर उभरता है,केवल अपने विश्वास के कारण । इसलिए केवल स्वयं पर विश्वास रखे किसी स्वामी या बाबा पर नहीं , सोचिये जो विश्वास एक पत्थर कि मूरत को भगवान बना सकता है वो क्या नहीं कर सकता ।
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments